हर सुबह उठकर मैं दूसरों के लिखे अफ़साने पढ़ती हूँ
दूसरों की कामयाबी के किस्से
दूसरों के सपनों की दास्ताने सुनती हूँ।
वो कहते हैं लिखो, रोज़ लिखो
मैं बस सोचती हूँ
एक दिन लिखूँगी
उनके जैसा अच्छा लिखूँगी
Madison Square Garden के मंच पर
Perform करूंगी
"सफ़ीना के बिना मेरी जिंदगी
बिना बचपन के बड़े हो जाने जैसी है।"
- ऐसा लिखूँगी
जिससे वर्षों बाद लोग Reel बनाएंगे।
लेखक के लिए कहेंगे-
वाह क्या लिखा है- मैं भी एक दिन ऐसा ही लिखूँगी
Madison Square Garden के मंच पर Perform करूंगी!